दुनियाभर में मौत के सबसे प्रमुख कारन कैंसर माना गया है, एक रिसर्च के अनुसार भारत में हर साल लगभग 10,00,000 नए कैंसर के मामले सामने आते है| भारत में 10 मे से 1 पुरुष और 12 में से एक महिला को अपने जीवनकाल में किसी न किसी तरह का कैंसर होने का अनुमान है| और 15 में से एक इन्सान का मृत्यु भी कैंसर से होने का अनुमान लगाया गया है| डब्लू.अच.ओ के मुताबिक कैंसर से जुड़े मामले कुछ इस प्रकार पाया गया है भारत में इसीलिए आज हम ये जानने की कोशिस करेंगे की कैंसर क्यों होता है? कारन क्या है, और इलाज क्या है?

- हर साल भारत में 16मिलियन कैंसर के मामले रिपोर्ट किये जाते हैं|
कैंसर क्या है?
सरीर में होने वाले असामान्य और घातक स्थिति, जिसमे कोशिकाओं का असामान्य ब्रुधि होती है, उसे कैंसर कहते हैं और आज हम इसी ब्लॉग में यह जानेगें की कैंसर क्यों होता है? कारन क्या है, और इलाज क्या है? हमारे सरीर में कोशिकाओं (Cells) का लगातार विभाजन होना एक सामान्य प्रकिया है| जिस पर हमारा सरीर का सबसे ज्यादा नियत्रण रहता है| लेकिन जब किसी विशेस अंग की कोशिकाओं पर सरीर का नियंत्रण नहीं रहता है तो वो असामान्य रूप से बढ़ने लग जाती है और ट्यूमर का रूप ले लेती है, इसे कैंसर कहा जाता है| ज्यादा तर कैंसर ट्यूमर के रूप में होते हैं, लेकिन जब ब्लड कैंसर की बात आती है तो वंहा ट्यूमर नहीं होती है| और एक विशेस बात यह ध्यान रखें की हर एक ट्यूमर कैंसर नहीं होता है|
आसन भाषा में अगर कहा जाये तो, कैंसर एक असामान्य स्थितिं है सरीर के लिए| जिससे कोशिकाएं बहुत बढ़ने लग जाती है और बढ़ी हुई चर्बी का गांठ बन जाता है, जिसे ट्यूमर कहा जा सकता है| ये सरीर के किसी भी पार्ट में या अंग में हो सकता है, आमतौर पर कैंसर में होने वाले ट्यूमर दो तरह के होते हैं, एक बिनाइन ट्यूमर और दूसरा मेलिंग्नेट ट्यूमर| मेलिंग्नेट ट्यूमर सरीर के दुसरे हिस्सों में फेलता है, जब की बिनाइन ट्यूमर नहीं फेलता है|
कैंसर के लक्षण क्या है? कैंसर क्यों होता है? कारन क्या है, और इलाज क्या है?
सभी कैंसर के लक्षण उसके प्रकार और स्थान के अनुशार बिभिन्न प्रकार के होते हैं, लेकिन इन में से कुछ अलग लक्षण भी है जो देखा जा सकता है, जेसे की :-
- सरीर का बजन अचानक बढ़ जाना या कम हो जाना,
- ज्यादा थकान और कमजोरी महसूस होना,
- त्वचा में गांठ बनना,
- त्वचा के रंग में बदलाव होना,
- पाचन संबंधित समश्या, कब्ज या दस्त होना,
- आवाज़ अचानक बदल जाना,
- जोड़ो और मांसपेसियों में धीरे धीरे दर्द सुरु होना,
- घाव ठीक होने में ज्यादा समय लगना,
- भूक ना के बराबर लगना,
- लिम्फ नोड्स(Lymph Nodes) में सुजन,
- लगातार खांसी, स्वर बेठना, या साँस फूलना,
- थकान या अस्पस्ट सुजन,
- बिना किसी कारन से रात में बुखार आना,
अगर किसी को इन मे से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है तो, उसके लिए तुरंत डॉक्टर्स से परामर्स करना बहुत जरुरी है| और यह जानना भी बहुत जरुरी है की कैंसर क्यों होता है? कारन क्या है, और इलाज क्या है?
- भारत में सबसे ज्यादा यह 6 प्रकार के कैंसर पाए जाते हैं, जिसमे:-
- फेफड़ो का कैंसर
- मुह का कैंसर
- पेट का कैंसर
- ब्रेस्ट कैंसर
- सर्वाइकल कैंसर
- कोलोरेक्टल कैंसर
- फेफड़ो का कैंसर – यह एक येसी स्थति हैं, जिसमे फेफड़ों में बिशेस कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढती है, जिससे ट्यूमर बनता है यह कैंसर सरीर के अन्य हिस्सों में भी फ़ैल सकता है| फेफड़ों का कैंसर फेफड़ों में सुरु होकर, यह एक मृत्यु का कारन बन सकता है| यह कैंसर तब होता है जब इंसान बहुत ज्यादा धुम्रपान करता है| लेकिन अन्य जोखिम कारक भी हैं जैसे की एस्बेस्टस का संपर्क, रेडानगैस से होने का संभावना होता है,

फेफड़ों का कैंसर का कुछ सामान्य लक्षण:- लगातार खांसी, सिने में दर्द, साँस लेने में कठिनाई, वजन कम होना, और थकान इसके कुछ सामान्य लक्षण है|
- मुह का कैंसर – मुह का कैंसर तब होता है जब जीभ, मुह, होठ, या मसूड़े के अन्दर के अन्य हिस्सों में सेल्स अनियंत्रित रूप से बढ़ने लग जाता है| इसे स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा बोला जाता है, जो की सेल्स में जेनेटिक चेंजेस के कारन होता है| मुह में कैंसर होने सा सबसे प्रमुख कारन यह है की अत्यधिक शराब पीना, गुटखा चबाना, सिगरेट पीना, तम्बाखू खाना यह सारे चीजे मुह में कैंसर होने का प्रमुख कारन है|
मुह में कैंसर के लक्षण:-
- मुह में दर्द सहित गांठ या अल्सर जो ठीक नहीं होता|
- होठ, जीभ या मुह के अन्दर लाल या सफ़ेद दाग धब्बे दिखना|
- मुह में रक्त्स्राब या मवाद|
- गले में खरास या जुखाम जो लम्बे समय तक बना रहता है|
- चेहरें या मुह मे सुजन|
मुह का कैंसर का उपचार:-
- अगर आपको उपरोक्त लक्षणों में से कोई भीं लक्षण महसूस हो तो जल्द से जल्द डॉक्टर्स से मिलने की आबश्यकता है|
- डॉक्टर्स आपके अछे तरह से जाँच करेंगे और बायोप्सी ले सकते हैं|
- इसी कैंसर का निदान में सर्जरी, विकिरण चिक्कित्सा, कीमोथेरेपी सामिल हो सकता है|
मुह के कैंसर से बचने के लिए, निम्न लिखीय कुछ टिप्स को फल्लो कर सकते है, जैसे की:-
- तम्बाखू का सेबन बंद करें,
- शराव का सेबन सिमित करें,
- अपना दांत और मुह का उचित साफ़ सफाई रखें,
- एचपीवी(HPB) इन्फेक्शन से बचाव के लिए, सेक्सुअली एक्टिव लोगों को एचपीवी का टिका लगवाना चाहिए|
- अगर आपको लगे की दांत में कुछ समाश्या होने वाली है या हो रही है तो आप दांत के डॉक्टर्स को नियमित रूप से दिखा सकते है|

- पेट का कैंसर – जब पेट के कोशिकायों में असामान्य बृद्धि होती है तब पेट का कैंसर होने का बहुत ज्यादा चांस होता है , जिसमे की खाने के बाद पेट फूल जाना, थोडा सा खाना खाने के बाद पेट भरा भरा लगना, पेट में दर्द होना अनजाने में वजन कम हो जाना, और उलटी होना| पेट का कैंसर फेमिली हिस्ट्री का भी एक जोखिम कारन हो सकता है|
पेट के कैंसर को रोकने के लिए बहुत मात्रा में फल फ्रूट और सब्जिया खाएं, नमकीन और स्मोक्ड पदार्थों का मात्रा बहुत जयादा कम करें| और एक बिशेस बात यह है की अगर आप धुम्रपान करते है तो छोड़ दें|

- ब्रेस्ट कैंसर:- स्किन कैंसर के बाद महिलायों में सबसे अधिक मात्रा में पाए जाने वाला रोग है, ब्रैस्ट कैंसर जिसको स्तन कैंसर भी कहा जाता है, स्तन से आसामान्य सेल्स अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती है| ब्रैस्ट कैंसर होने के बहुत से कारन हो सकते हैं, जिसने यह सब सामिल है:- जेनेटिक रीज़न, ह्र्मोनल कारक, जीबनशेली|
- साधारणतः स्तन कैंसर का कुछ जोखिम करक शराव पीना, धुम्रपान करना, पारिवारिक इतिहास, फिजिकली एक्टिव न होना और जेनेटिक म्युटेशन यह सव भी सामिल है |

- सर्वाइकल कैंसर:- यह कैंसर महिलायों में पाए जाने वाला एक कैंसर है, जो की गर्वासय का निचला भाग में होने वाला एक कैंसर है, ये नॉर्मली ह्यूमन पैपिलोमावायरस(HPV) इन्फेक्शन के कारन होता है, सुरुयाती अवस्था में सर्वाइकल कैंसर कुछ ख़ास लक्षण नहीं दिखाई देता है| लेकिन बाद में एब्नार्मल वर्गिनल ब्लीडिंग, सेक्सुअली एक्टिविटी के बाद ब्लीडिंग या दर्द हो सकते है| इस कैंसर का पता लगाने के लिए पैप स्मीयर अच.पि.भी टेस्टिंग जैसे स्क्रीनिंग टेस्टिंग किये जाते है| और महिलायों के लिए एक बिशेस बात ये भी ध्यान चाहिए की बहुत से प्रकार का कैंसर और कैंसर उपचार के कारन बांझपन का भी खतरा बन सकता है, हालाँकि रिप्रोडक्टिव ओर्गंस के कैंसर के लिए भबिश्य में गर्वधारण न होने की संभाबना बहुत ज्यादा हो जाता है |

- कोलोरेक्टल कैंसर:– कोलोरेक्टल कैंसर जिसको आंत का कैंसर या कोलन कैंसर भी कहा जाता है, यह एक येसा कैंसर है जो की इंसान का मलाशय में सुरु होता है नॉर्मली ये वोह कैंसर है जो की आंत की अन्दर की दीवार पर छोटे गैर कैंसर युक्त विस्तार से शुरू होता है, जो की समय के साथ कैंसर में बदलने के लिए समय नहीं लेता, कोलोरेक्टल कैंसर आंतो या रेक्टल परत जिसे पोपिल भी कहा जाता है, उसकी तल पर बटन जैसी गांठ के रूप में सुरु होना दिखाई देता है| इसी कैंसर का सटीक कारन का पता नहीं चल पाया है, अभीतक लेकिन कुछ जोखिम कारक है जो की उम्र बढ़ना, जेनेटिक कारक, मोटापा, धुम्रपान करना यह सब सामिल है|
- शुरुयात्ति स्टेज में कोलोरेक्टल कैंसर कैंसर में कोई ख़ास लक्षण नहीं दिखाई देते हैं, लेकिन जैसे जैसे कैंसर बढ़ने लगता है तो कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जेसे की मल में रक्त आना, लगातार पेट में दर्द होना, थकान, और वजन घटना| इस कैंसर का निदान बायोप्सी, कोलोनोस्कोपी, सिटी स्कैन और एम.आर.आई के माध्यम से किया जाता है| यह 50 बर्स से अधिक के लोगों में ज्यादा पाए जाने की संभाबन है, अगर आपको एसी कोई भी लक्ष्ण महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर्स से मिलके उसका निदान का परामर्श लेना चाहिए|

कैंसर क्यों होता है? कारन क्या है, और इलाज क्या है?
कैंसर होने के पीछे कोई ज्ञात कारन नहीं है| लेकिन कुछ पदार्थ जिन्हें कोर्सिनोजन कहा जाता है, वह कैंसर के प्रमुख कारणों मे से एक है, और यही वह कारन है जिससे कैंसर होने के संभाबना को बढ़ा सकता है| कैंसर के कुछ प्रमुख जोखिम कारक निम्नलिखित है:-
- तंबाकू खाना या सिगरेट पीना – तंबाकू या उससे बने उत्पाद जैसे सिगरेट, गुटखा या या चुइंगम आदि का लंबे समय तक सेबन फेफड़े या मुह का कैंसर का कारन बन सकता है|
- अल्कोहल – लम्बे समय से शराब का सेवन करना लीवर कैंसर को बढ़ाबा देता है| साथ ही सरीर के अन्य कई हिस्सों में कैंसर को बढ़ाबा देता है|
- जिन – कैंसर के लिए जिन भी एक प्रमुख कारन हो सकता है, यदि परिवार में किसी को भी कैंसर का इतिहास है, इस बीमारी के होने की संभाबना ज्यादा से ज्यादा होती है|
- वायरस- जो कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं उनमे हेपेटाईटिस बी और सी होते हैं, जो 50 प्रतिशत लीवर कैंसर के लिए जिम्मेदार होता है| साथ ही ह्यूमन पेपिलोमा वायरस 99.9 प्रतिशत मामलों में सर्वाइकल कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं|
- अन्हेअल्दी फ़ूड – अन्हेअल्दी फ़ूड या रिफाइंड खाद्य पदार्थ, जिनसे फाइबर की मात्रा कम होती है, वो कोलन कैंसर की संभाबना को बढ़ाते है| बहुत अधिक नमक, चीनी, और प्रोसेस्ड फ़ूड का सेवन किडनी की पथरी और कुछ प्रकार के कैंसर को भी बढ़ाबा दे सकते हैं|
- एक्स रे – बार बार एक्स-रे करवाने के कारन भी रेडिएशन के संपर्क में आने से कैंसर का खतरा बन जाता है|
- शारीरिक गतिबिधि का अभाव – स्थिर जीवनशेली एक जिखिम करक हो सकता है, क्युकी नियमित शारीरिक गतिविधि से कुछ कैंसर का जोखिम कम हो सकता है|
- युवी प्रकाश के संपर्क में आना – सूर्य के प्रकाश और टेनिंग बेड जैसे युवी प्रकास के संपर्क में आना स्किन कैंसर का एक हिस्सा कहा जा सकता है|
सामान्य कोशिकाएं और कैंसर कोशिकाएं में क्या अंतर है?
सामान्य सेल्स में नियंत्रित बृद्धि, मृत्यु, और विभाजन होती है| जब की कैंसर कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बृद्धि करती है, विभाजन करती है और मरती नहीं है| वोह आसपास के उत्तकों को घुसपेठ करती है और ब्लड या लिम्फेटिक सिस्टम पर पुरे सरीर पर फ़ैल जाने का काम करती है|
सामान्य कोशिकाएं:
- वह एक असामान्य कोशिका चक्र का पालन करती है,
- वह सरीर का तरह तरह का कार्य को करने के लिए असामान्य रूप से डिज़ाइन किया गया है,
- वह अन्य सेल्स के साथ स्पर्स में आने पर अपने विभाग को रोकती है, (संपर्क प्रतिकार)
- वह सरीर के सुरक्षा योजना द्वारा कंट्रोल होती है,
- वह एक निर्णित समय के बाद मर जाता है, (अपोप्टोशिस)
कैंसर कोशिकाएं:
- वह अपने सेल्स चक्र का पालन नहीं करती है,
- वह असीमित रूप से बृद्धि करती है और विभाजित होती है,
- वह अपने आसपास के उत्तकों में घुसपेठ करती है और मरती नहीं है,
- वह एक जगह से दुसरे जगह फ़ैल सकती है,(मेटास्टेसिस)
- वह सरीर के सुरक्षा तंत्र द्वारा कंट्रोल नहीं होता है,
- वह आसपास के सामान्य सेल्स को नष्ट कर सकती है,
कैंसर का कितने स्टेज होते हैं? कैंसर क्यों होता है? कारन क्या है, और इलाज क्या है?
कैंसर के ज्यादा तर मामलो में ट्यूमर होता है, और इन्हें गंभीरता के आधार पर चार स्टेज में बांटा गया है जेसे की:-
- स्टेज 0 – इस स्टेज में आपको कैंसर नहीं होता है सरीर में कुछ असाधारण कोशिकाएं मौजूद हो सकते हैं, जो कभी कैंसर होने का खतरा को बढ़ा सकतें है|
- स्टेज 1 – पहला स्टेज में कैंसर का ट्यूमर छोटा होता है, इसमें कैंसर का कोशिकाएं सिर्फ एक भाग में फेलता है|
- स्टेज 2 और 3 – दुसरे और तीसरे स्टेज में आपके सरीर में ट्यूमर का आकार बड़ा होता है| और कैंसर की कोशिकाएं अपने पास के स्थित अंगो और लिम्फ नोड्स में फेलती है|
- स्टेज 4 – चौथे स्टेज को कैंसर का सबसे लास्ट स्टेज कहा जाता है, इसे मेटास्टेटिक भी कहा जाता है| ये स्टेज सबसे आखरी स्टेज है और इसी स्टेज में मृत्यु होने की संभावना हो सकती है|
कैंसर का इलाज क्या है?
कैंसर का इलाज सबसे पहले ये देख कर किया जाता है कि वह कोनसा स्टेज पर है, कोनसा स्थिति है, और कोनसा प्रकार है, ये डॉक्टर्स ही तय करते हैं, की आपका कैंसर कोनसा स्टेज पर है और इसका इलाज क्या है| सामान्य तौर पर कैंसर का इलाज कुछ इसी तरह किया जाता है:-
- सर्जरी
- नॉन-सर्जरी
- हार्मोन थेरेपी
- इम्यूनोथेरेपी
- कीमोथेरेपी
- स्टेम सेल ट्रांसप्लांट
- रेडिएशन थेरेपी
सर्जरी – अगर कैंसर दुसरो हिस्सों में नहीं फेला है तो सर्जरी एक बहुत अच्छा आप्शन है| क्युकी कैंसर के इलाज में अक्सर सर्जरी द्वारा कोशिकाओं के असाधारण रूप से बढ़ने वाले हिस्सों को बहार निकल दिया जाता है| क्युकी सर्जरी के द्वारा ट्यूमर तक आसानी से पह्युंचा जा सकता है|
- नॉन-सर्जरी – सर्जरी के बिना कैंसर सेल्स को नष्ट करना या कैंसर के प्रभाव को कम् करने के लिए उपयोग की जाने वाली बिधियां को नॉन-सर्जरी कहा जाता है| इसमें बिना सर्जरी किये कुछ चितित्सा या दबाईयां का उपयोग करके कैंसर का इलाज किया जाता है| क्युकी इसमें सर्जरी उपचार के मुकाबले नॉन- सर्जरीकल उपचार में कम नुकसानदेह और कम जटिलताएं होती हैं, और नॉन-सर्जरिकल उपचार केवल गिनेचुने कैंसर में किया जा सकता है क्युकी की नॉन-सर्जरिकल उपचार में कुछ साइडइफ़ेक्ट भी हो सकतें है, जैसे जी:- थकान, मतली और उलटी, हेयर लोस, संक्रमण का खतरा, भूक में कमी, स्किन और मसूड़ों में बदलाव, तंत्रिका क्षति, यह कुछ साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं|
- हार्मोन थेरेपी – हार्मोन थेरेपी के जरिये हार्मोन से प्रभावित कैंसर का इलाज किया जाता है| इसी थेरेपी से प्रोस्टेट कैंसर और ब्रैस्ट कैंसर ( Breast Cancer) का बहुत जयादा सुधार होता है|
- इम्यूनोथेरेपी – यह आपके इम्यून सिस्टम को कैंसर कोशिकाओं से लड़ने के लिए प्रबल बनाती है|
- कीमोथेरेपी – कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी कई स्टेज पर किया जाता है, इसमें बिशेस प्रकार के ड्रग्स, और दबाईयों के जरिये बढ़ रही कैंसर सेल्स को नष्ट किया जाता है|
- स्टेम सेल ट्रांसप्लांट – यह एक येसा उपचार है जो की ख़राब या स्टेम कोशिकयों को स्वस्थ कोशिकाओं में बदल सकता है, यह ज्यादातर ब्लड कैंसर, ल्यूकेमिया, लिम्फोमा, और मल्टीप्ल मयेलोमा जेसे रोगों के लिए ये उपचार को इस्तेमाल किया जाता है| यह कुछ इसी प्रकार काम काम करता है:- मरीज को हाई डोस कीमोथेरेपी दी जाती है, जिससे कैंसर कोशिकाएं भी मरने लग जाते है, और स्वस्थ स्टेम कोशिकाएं भी नष्ट हो जाता है इसके बाद स्वस्थ स्टेम कोशिकयों को मरिज को दिया जाता है, वो बोन मैरो में जाकर नए वाले रक्त कोशिकाएं बनाना शुरू कर देते है|
- रेडिएशन थेरेपी – सामान्यतः यह उपचार करने से कैंसर सेल्स को नष्ट करना और ट्यूमर को सिकुड़ने का काम करने लगता है, एक मशीन द्वारा कैंसर और उसके आसपास का उत्तको को विकिरण (रेडिओएक्टिव किरणों) वेज कर की जाती है, इसमें एक मशीन कैंसर पर विकिरण भेजती है और ट्रीटमेंट के समय मरीज को एक जगह स्थित रहना होता है| रेडीओथेरेपि कई प्रकार के कैंसर के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है, जेसे की:- ब्रैस्ट कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर| इसे ट्यूमर को सिकुड़ने के लिए, अगर कैंसर फ़ैल रहा है तो उसे रोकने के लिए उपयोग किया जाता है|
कैंसर के कुछ अन्य प्रकार?
जर्म सेल ट्यूमर- (Germ Cell Tumor) यह जर्म कोशिकाओं से बनने वाला एक ट्यूमर है,
यह कुछ इसी प्रकार का सेल्स है जो की पुरुषों में सुक्राणु में और महिलाओं में अंडो में बनती है| अगर जर्म कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़जाता है तो, वह जर्म सेल ट्यूमर बना सकता है, आमतौर पर ये ट्यूमर अंडकोष, अंडाशय सरीर के अन्य भागो में पाए जा सकते है|
न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर – (Neuroendocrine Tumor यह एक प्रकार का कैंसर है जो न्यूरोएंडोक्राइन सेल्स में सुरु होता है| यह सेल्स सरीर के तंत्रिका तंत्र के संकेतों के जबाब में रक्त प्रबाह में हार्मोन स्राबित करते हैं, अत्यधिक हार्मोन उत्त्पदन के कारन वह कई तरह के लक्षण पैदा कर सकते है| न्यूरोएंडोक्राइन कई अंगो में बिकसित हो सकते हैं, लेकिन वह हमेशा पाचन तंत्र, फेफड़े, और अग्नाशय में पाए जाते हैं, और इसका इलाज इमेजिंग परिक्षण, रक्त और मूत्र परीक्षणों और बायोप्सी के माध्यम से किया जाता है|
कैंसर क्यों होता है? कारन क्या है, और इलाज क्या है? अपना खानपान सहीं रखना| और उल्टा सीधा कुछ भी बहार का नहीं खाना, हेल्दी लाइफस्टाइल को अपना कर जोखिम कारक पदार्थ को न अपना कर कैंसर से बचा जा सकता है, जैसे की :-
- शराव का सेबन ना करना
- धुम्रपान पान ना करना
- फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ का सेबन करना
- ज्यादा फैट चीजे ना खाना
- रेगुलर सारे वैक्सीन लेना
- तनाव से बचना
- बी.एम.आई(BMI) चेक कराते रहना
- हेल्दी जिवनशैली को अपनाना
ये सारे जीवनशैली को अपना कर आप एक अच्छा और स्वस्थ जीवन का मालिक बन सकते है|
निष्कर्स:
दोस्तों हम उम्मीद करते हैं की आप ये ब्लॉग को पढके जितना जानकारी हम दिए हैं उतना जानकारी आप बहुत अछे से समझ गएँ होंगे, इसमें वह सारा बताने की कोशिस किया गया है, की कैंसर क्यों होता है? कारन क्या है, और इलाज क्या है? कैंसर कितने प्रकार के होता है और किन किन तरीकों से इलाज किया जा सकता है |
हमारा मकसद सिर्फ और सिर्फ आप लोगों तक जानकारी पहुँचाना है, इस ब्लॉग के माध्यम से आप लोग थोडा सा जानकारी ले सकते हैं, और अपने स्वस्थ्य से जुड़े कोई भी ज्यादा जानकारी पाने के लिए आप किसी पेशेवर डॉक्टर्स से बात करें, और जानकरी लें, जो भी करें डॉक्टर्स के परामर्श ले के करें |
धन्यवाद…