इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग क्या है? क्या आप जानते हैं, की सिर्फ जी मचलना और मूड स्विंग होना प्रेगनेंसी के सुरुयाती लक्षण नहीं होते हैं| लगभग 4 महिलायों में से 1 महिला को हलकी (थोड़ी थोड़ी) ब्लीडिंग होती है, जो गर्भास्था की पृष्टी करती है, वेसे देखा जाये तो ब्लीडिंग होने की स्थिति को प्रेगनेंसी से उल्टा माना जाता है, लेकिन ये सब सच भी नही है| योनी से ब्लीडिंग होना इम्प्लांटेशन का संकेत हो सकता है| इम्प्लांटेशन गर्भस्य की सतह में भ्रूण से जुदा होता है|
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग में सामान्य पीरियड्स के मुकावले कम खून आता है, इतना ही नहीं इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग में आने वाला खून सामान्य पीरियड्स से आने वाला खून से थोडा अलग होता है| इसलिए यदि आपका अगर आपका पेट बढ़ने लगा है, तब पूरा समझ में आ जाता है की आप गर्भवती बन गयी हैं, लेकिन यदि आपको सिर्फ ब्लीडिंग हो रही है तो आपको डॉक्टर्स से मिलने की बहुत जरुरी है|

इम्प्लांटेशन के बारे में कुछ ज्यादा जरुरी सुचना:-
- इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग क्या है?
- इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के लक्षण?
- इम्प्लांटेशन से जुड़े अन्य लक्षण?
- इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग और मासिक धर्म की ब्लीडिंग में अंतर
- इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के बाद टेस्ट कब करवाना चाहिए?
- क्या योनी से खून आना चिंता का कारन है?
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग क्या है?-
भ्रूण फर्टिलाईजेसन (निषेचन) का परिणाम होता है| अन्य सब्दो में कहें तो जब सुक्राणु और अंडाणु मिलते है,तो फर्टिलाईजेसन जाता है और जिसके परिणामस्वरूप भ्रूण बनने लग जाता है| उसके बाद ये भ्रूण फैलोपियन ट्यूब से होते हुए सीधा गर्भस्य में पहुंच जाता है और गर्भस्य की मोटी परत में ठहर जाता है या चिपक जाता है, इस समय थोड़ी सी ब्लीडिंग देखने को मिल सकता है, जिससे इम्प्लाटेशन ब्लीडिंग कहा जता है| ये कुछ दिन तक भी रह सकता है|
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के लक्षण-
एसे तो कई प्रकार के लक्षण देखने को मिलते हैं, जो इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के साथ दिखाई दे सकते है| ये लक्षण आपको ब्लीडिंग की पहचान करने में मदद करते है, ताकि आप उन लक्षणों के अनुशार उनका कारन का उपाय निकल सकें|
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कब होती है?
सामान्य प्रेगनेंसी को पहचानने के लिए ब्लीडिंग का समय और अबधि का पता लगाना बहुत जरुरी है| एसा इसलिए क्युकी प्रेगनेंसी के समय में योनो से थोडा थोडा खून आना काफी संभाबना रहता है| आम तौर पर योनी से खून Ovulation के 6 से 10 दिन के दौरान या माशिक धर्म चक्र के 20 से 25 दिनों के भीतर होता है, यह कुछ दिनों तक रह सकत है या पीरियड्स के दौरान भी होने का ज्यादा संभाबना होता है, जिस कारन से कभी कभी उसको देख पाना बहुत कठिन होता है| हलाकि यदि ब्लीडिंग प्रेगनेंसी के कुछ हफ्तों के बाद होती है, तो ये मिस्कैरेग Miscarriage या एक्टोपिक प्रेगनेंसी (Ectopic Pregnancy) का कारन हो सकता है|
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग की अवधि से जुडी एक और बात है, जिस के बारे में आपको पता होना बहुत जरुरी है, जो महिलाएं पहले बच्चा पैदा कर चुकी है, उनके मुकावले जिन महिलायों को पहली बार इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग हो रही है, उनमे इम्प्लांटेशन अवधी थोड़ी ज्यादा दिन तक चल सकती है|
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग में खून का रंग केसा होता है?
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग में आनेवाले खुन का रंग काफी हल्का होता है| जो स्पोटिंग की तरह या पीरियड्स से पहले होने वाली हलकी ब्लीडिंग की तरह होता है, स्पोटिंग काफी अनियमित होती है और हर अलग अलग महिलायों में अलग अलग हो सकती है| स्पोटिंग या इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के दौरान आनेवाला खून आम तौर पर पीरियड्स के दौरान निकलने वाले खून से हल्का होता है| आम तौर पर इससे निकल ने वाले खून हलके गुलाबी या ब्राउन रंग का दिखाई देते है|

इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग में कितना दर्द होता है?
इम्प्लांटेशन के दौरान कई महिलायों को पेट के निचले हिस्से में एंठन महसूस होती है, जब की कुछ महिलायों को एसा कुछ भी महसुस नहो होता पेट मे मरोड़ प्रेगनेंसी में पेट के आकार बढ़ने ने कारन होती है, जब भ्रूण खुद को अन्दर जोड़ने की कोसिस करता है तो इससे जुडी जो भी समाश्या रहते है वह लिगामेंट्स आदि पर खिचाव होने लगता|
आपको सरीर की पोजीशन बदलने, खांसी या छींक के दौरान पेट में हलके एंठन महसुसू हो सकती है| इस प्रकार होने वाली एंठन की गंभीरता हलकी या मध्यम हो सकती है और यह लगभग हर प्रेगनेंसी महिलायों को महसूस होता है| यदि आपको पेट के निचले हिस्से में ज्यादा से ज्यादा एंठन महसूस हो रही है, तो इसे समय में डॉक्टर्स से मिलना बहुत जरुरी है| ताकि इसे समय में सहीं कारन का पता लगाया जा सके|
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग से जुड़े अन्य लक्षण?
ऊपर बताया गया लक्षणों में से कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते है, जो इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग से जुड़े होते हैं, यदि आपको योनी में खून आने क साथ साथ निचे बताये गए लक्षणों में से कोई भी एक महसूस हो रहा है, तो आपके प्रेगनेंसी होने के संभाबन काभी बढ़ जाता है|
मतली और उलटी
अमेरिकन प्रेगनेंसी एसोसिएशन के अनुशार जी मछ्लाना और उलटी आना प्रेगनेंसी का दूसरा सबसे बड़ा संकेत होता है| ये आम तौर पर योन योन संबंध बनाये या फर्टिलाइजेशन करने के एक से दो हफ्ते के बाद महसूस होता है, और पहले तिमाही तक रह सकता है| और कुछ महिलायों को तो पुरे गर्भाबस्था के दौरान बार बार जी मच्चलना उलटी जेसी समस्या लगातार रह सकती है|
जी मछ्लाना या मतली होने के दौरान उलटी करने जेसा महसूस होता है, इसमें कई बार उलटी होती भी है और कई बार उलटी नहीं भी होती है| प्रेगनेंसी के दौरान जो मतली होता है उसे ‘मोर्निग सिकनेस’ भी कहा जाता है, लेकीन ये समस्या पूरा दिन और रात भी रह सकता है|
स्तनों में सुजन वह चुने से बहुत दर्द होना
जिन महिलायों ने गर्वधारण कर लिया है, उनलोगों के स्तनों को छूने से दर्द महसूस हो सकती है| इसके अलावा महिलायों का स्तनों का आकार भी थोडा सा बढ़ सकता है, प्रेगनेंसी के टाइम पे स्तनों को छूने से दर्द होना तीसरा सबसे मुख्य संकेत माना गया है|
गर्वधारण के होने के बाद महिलायों के हारमोंस में बदलाव होने लग जाते है, जेसे प्रोजेस्टेरों का स्ट्राब बढ़ना आदि, जिस कारन से स्तनों में बदलाब महसूस होने लगता है, स्तनों में बदलाव आम तौर पर गर्वधारण करने के 1 से 2 हफ्ते बाद होने लगता है, यह लक्षण इम्प्लांटेशन से सम्बंधित हो सकती है|
थकान
गर्वसाया से अनादर बिकसित हो रहे भ्रूण के लिए उचित बाताबरण बनाने के लिए गर्वबस्था के सुरुयाती चरणों में ही महिलायों के सरीर में बहुत तेजी से काफी सारे वदलाव होते दीखते है, सरीर में काफी तेजी से बदलाव होने के कारन महिलायों को पुरे दिन थकाबट महसूस होती है|} इसके अलावा गर्वबस्था में होने वाले हारमोंस के बदलाव और प्रोजेस्टेरों का स्तर बढ़ने के कारन भी महिलायों को थकान वह नींद महसूस होती है| इसके अलावा आपको भाब्नात्मक सम्बंधित समस्या ये हो सकती है, और आपको हर समय कमजोरी भी महसूस हो सकती है|
बार बार पेशाब आना
जब कोई महिला प्रेगनेंसी हो जाती है तो उसे बार बार पेशाब करने इच्छा होती रहती है| एसा इसलिय होता है क्युकी भ्रूण के कारन गर्वसाया का आकार बढ़ जाता है| जिससे आसपास के अंगो में दबाव पड़ने लग जता है, गर्वशाया के पास मौजूद मुत्रस्य (जंहा पेशाब जमा होता है) पर दबाव बढ़ने से बार बार पेशाब करने इच्छा बढ़ जाती है, ज्यादा तर मामलो में बार बार पेशाब आने की समस्या प्रेगनेंसी के 6 से 8 हफ्तों के बिच होने लगता है|
भूख लगना
आपने एसे तो कभी प्रेगनेंसी महिलायों को देखा होगा जो की प्रेगनेंसी के समय में बहुत ज्यादा खाती है या उनको बार बार भूक लगता रहता है, और अजीब अजीब चीजे खाने की मन करता रहता है, प्रेगनेंसी महिलायों को किसी भी बक्त कुछ भी खाने की मन करता है| ओर वोह अपने आप को रोक नहीं पाती हैं, गर्वबस्था के समय लगभग हर गर्वबती महिलायों का मन में कुछ न कुछ खाने का मन करता रहता है| लेकिन एसा क्यों होता है की प्रेगनेंसी में महिलाएं कुछ न कुछ खाने के मन करती हैं इसका पीछे की स्पष्ट वजह नहीं मिल पाई है|
मूड स्विंग होना
महिलायों को बार बार मूड स्विंग होना भी गर्वबस्था में होने वाला एल लक्षण है| गर्वबती महिलायों में हारमोंस के बदलाव होने के कारन उनके मूड में उतर चधाऊ होते रहता है, उन्हें एक ही दिन में अच्छा, बुरा, सन्ति,और घुस्सा महसूस होने लगता है| प्रेगनेंसी के दौरान मूड स्विंग होना आम बात है, लेकिन आपको कुछ ज्यादा ही उदासी महसूस हो रही है तो डॉक्टर से जरुर संपर्क करना चाहिए आपको क्युकी ये डिप्रेशन का भी संकेत हो सकता है|
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग और माशिक धर्म का ब्लीडिंग में अंतर|
जो महिलाएं प्रेग्नेंट होने के बारे में सोच रहे होते हैं, या गर्वधारण करने की कोशिश कर रही होती है, वह ये तये नहीं कर पाती है कि वह गर्वबती हो गयी है या नहीं और यह ब्लीडिंग प्रेगनेंसी से जुडी है या पीरियड्स से| अगर आप पीरियड्स और गर्वबस्था के बिच के बारे में अन्तर ठीक से नहीं जानते तो आपको संदेह रहना जाएज है, क्युकी इन दोनों स्थतिओं के लक्षण एक जेसे ही होते है और उसी समय ही होते है, इसके अलाव गर्वबस्था और पीरियड्स के कुछ लक्षण एक जेसे दिखाई देते है| जेसे मूड स्विंग, भूक लगना आदि, एसे में गर्वाब्स्था को तये कर पाना बहुत मुस्किल हो जाता है, लेकिन आप इसकी चिंता न करे कि हमे पता केसे चलेगा बोल के, क्युकी की हम आपको इन दोनों स्थतियों का अंतर बताने वाले हैं, जेसे की:-
खून का बहाव:
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के दौरान आने वाला खून का मात्र में पीरियडस के दौरान आनेवाले खून स काफी कम होता है| इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग आम तौर पर स्पोटिंग के रूप में होती है, जब की पीरियड्स में ब्लीडिंग काफी अधिक होती है, जिसको कंट्रोल करने के लिए सेनेटरी पेड़ या तेम्पोंन आदि की अबस्यकता पड़ती है, इम्प्लांटेशन के दौरान होने वाली ब्लीडिंग काफी कम होती है, जिसे आप साधारण तरीके से गुप्तांग को धो के या टॉयलेट पेपर से पोछ के भी खून को साफ़ कर सकते है|
खून का रंग:
हर बिकसित महिलायों को पीरियड्स आते है, इसलिए वह पीरियड्स में आनेवाले खून का काफी अच्छे से पहचान लेती है, पीरियड्स के दौरान खून कम आये या ज्यादा आये लेकिन खून का रंग गहरा लाल ही होता है| लेकिन जब बात इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग की आती है तो इसमें खून का रंग हलके गुलाबी से गहरे ब्राउन रंग भी हो सकता है, कभी कभी इसका रंग लोहे का जंक जेसा भी दीखता है|
क्लोटिंग:
ज्यादा तर महिलायों को पीरियड्स के दौरान खून में गांठ या थक्के बने हुए दिखाई देते है, ये पीरियड्स के दौरान सभी महिलाओं को होना एक आम बात है, क्युकी इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग में किसी भी थक्का बना हुआ दिखाई नहीं देता है और इसमें आने वाला खून साफ़ होता है|
खून बहने की अवधी:
माशिक धर्म के दौरान बहने वाला खून आमतौर पर 3 से 7 दिन तक होता है, और जो महिलाएं गर्वानिरोधक टेबलेट्स लेती हैं, उनको गर्वानिरिधक टेबलेट्स न लेने वाली महिलायों के मुकाबले पीरियड्स में कम खून आता है| और यंहा तक की कभी कभी आता ही नहीं है|
इसके बिपरीत इम्प्लांटेशन में होने वाली ब्लीडिंग लमबे समय तक नहीं रहती है, ये गर्वाब्स्था में रिलेटेड ब्लीडिंग होती है, और कुछ ही घंटो तक रहती है, ज्यदा से ज्यादा ये 3 दिन से अधिक नही रह पता है|
उम्मीद ये है की, आप लोगो को ये तो पता लग गया होगा की इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग क्या है? और पीरियड्स में आनेवाला ब्लीडिंग क्या है?
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के बाद टेस्ट कब करवाना चाहिए?
अभी आप ये तो समझ गए होंगे की इम्प्लांटेशन की दौरान होने वाली ब्लीडिंग सम्भाबित रूप से आपके गर्वबती होने का संकट दे सकता है, हालाँकि आप अगर इस समय प्रेगनेंसी टेस्ट कराती हैं तो हो सकता है टेस्ट का रिजल्ट नेगेटिव आये| इसलिए अमेरिकन प्रेगनेंसी असोसियन के अनुसार ब्लीडिंग वह स्पोर्टिंग बंद होने के तिन से चार दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करवाना चाहिए|
इसके अलावा ऑफिस ऑफ वूमेन हेल्थ के अनुशार प्रेगनेंसी टेस्ट का रिजल्ट को और सहीं तरीके से जानने के लिए, पीरियड्स न आने के एक हफ्ता बाद टेस्ट करवाना चाहिए| आप थोडा पहले भी टेस्ट करवा सकते है, लेकिन कुछ फैक्ट बताते है की यदि पीरियड्स मिस होने के अगले दिन प्रेगनेंसी टेस्ट कवने पर रिजल्ट नेगेटिवे आता है| हमेसा एक हफ्ते के बाद टेस्ट करवाना अच्छा होता है, और पृष्टि के लिए दो बार टेस्ट करवाना चाहिए|
क्या योनी से खून बहना चिंता का कारन है?
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के लक्षण वह कारण आदि के बारे में अच्छे से जान लेने के बाद आपके मन में एक सवाल तो जरुर आ रहा होगा की इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग क्या है और ये क्या हानिकारक है? आपको हम ये बताने चाहते है की इम्प्लांटेशन की ब्लीडिंग से आपको चिंता करने की कोई जरुरत नही है, क्युकी सरीर की जो प्राकृतिक प्रक्रिया होती है, लेकिन एक न एक दिन हर महीला इस समस्या से गुजरती है, और शिशु के बिकसित होने से सम्बंधित किसी भी प्रकार का जोखिम पैदा नहीं होता है, हालाकि आपको पीरियड्स मिस होने के बाद अब ब्लीडिंग या स्पोर्टिंग हो रही है तो इसका कारन इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग नहीं होता है|
उस समय ब्लीडिंग होने की कई सारे अलग अलग वजह हो सकती है, पीरियड्स मिस होने के बाद होनेवाली ब्लीडिंग के कुछ कारणों को नार्मल या फिजिओलोजिकल नहीं माना जाता और जल्द से जल्द इसका इलाज सुरु कर दिया जाता है, इसमेसे कुछ निम्नलिकित है:-
- सेक्स करना
- योनी में इन्फेक्शन होना
- हारमोंस में चेंजेस
- अधिक बजन उठाना या अधिक मेहनत वाली एक्सरसाइज करना,
यदि आपको बहुत तेजी से पेट में एंठन हो रही या ब्लीडिंग हो रही हैं, और इसके साथ साथ अलग अलग शारीरिक बदलाव भी हो रहे हैं तो एसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर्स की मदद लेनी चाहिये, एसा इसलिए क्योकि अधिक ब्लीडिंग हो जाने के कारन आपको और भी ज्यादा बड़ी असुबिधा का सामना करना पड़ सकता है:-
- मिस्कैरेग
इस स्थिति में भ्रूण 3 महीने से पहले ही गिर जाता है| 3 महीने तक बच्चा इतना बिकसित नहीं होता है की वह गर्वशाया के बहार जिबित रह सके| कुछ मेडिकल रिसर्च के अनुशार, जो भ्रूण 6 महीने पुरे होने से पहले ही गिर जाता है, उस स्थति को मिस्कारेगे कहा जाता है| आजकल के ज़माने में मिस्कारेगे के मामले दिन वह दिन बढ़ते जा रहे हैं| रास्ट्रीय स्वस्थ्य सेवा के अनुसार 5 मे से एक प्रेगनेंसी महिला मिस्कारेगे का शिकार हो रही है| अधीक ब्लीडिंग के साथ पेट में एंठन होने को भी मिस्कारेज का सुरुयाती संकेत माना जाता है|
- एक्टोपिक प्रेगनेंसी
यह एक असामान्य प्रकार की प्रेगनेंसी होती है, वोह तब होती है जब इम्प्लांटेशन के गर्वशाया के दिवार के अलावा फेलोपियन ट्यूब में या और कही हो जाता है |
एक्टोपिक प्रेगनेंसी के दौरान भी काफी ब्लीडिंग होती है और पेट में एंठन आती है| यह जीवन के लिए हानिकारक स्थिति बन सकती है,और इसका जल्द से जल्द इलाज करवाने का आवश्यकता होती है|
- मोलर प्रेगनेंसी
यह अलग ही प्रकार का एक प्रेगनेंसी होती है जो की तब होता है, जब अंडा असाधारण तरीके से निषेचित हों जाता है, इसके परिणामस्वरूप भ्रूण असाधारण तरीके से बिकसित होने लगता है, यह आम तौर पर अधिक उम्र बलि महिलायों में अधिक होता है|
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के लिए डॉक्टर से कब परमर्स लेना चाहिए?
यदि आप अपनी योनी प्रत्यारोपण के बारे में चिंतित है या निचे लिखे हुए लक्षणों मेसे एक या एक से ज्यादा लक्षणों का अनुभब कर रहे हैं तो, तुरंत अपने नजदीकी डॉक्टर्स से संपर्क करे|
- लगातार रक्त्स्राब होना
- बहुतज्यादा सिरदर्द
- लमबे समय तक पेट में दर्द रहना
- पेशाब करते समय दर्द या जलन होना
- शारीरिक तापमान में अचानक परिबर्तन
- योनी सरब में रक्त के रक्त जमना
- लम्बे समय तक गर्वशाया में जलन या चक्कते रहना
इम्प्लांटेशन में देखने लायक सम्भाबित संकेत और लक्षण क्या है?
इम्प्लांटेशन की ब्लीडिंग में कुछ बिशेस लक्षण है जो की आप गर्वबस्था की सुरुयात्र में देख सकते है:-
- हलकी एंठन
- योनी से रक्त्स्राब का धब्बा (माशिक रक्त्स्राब की तुलना में हल्का या अलग रंग)
- सर दर्द
- मतली (सुबह की बीमारी)
- पीठ के निचले हिस्से में दर्दमूड बदलना
- पेट का फूलना
- स्तन मृदुता
- इम्प्लांटेशन डीप (बेसल सरीर के तापमान में कमी)
- उलटी करना
- कब्ज
- भोजन की लालसा और खाने की इच्छा नहीं होना
- थकान
- जल्दी पेशाब आना
- हलकी असुबिधा
ऊपर में लिखा हुआ जो भी लक्षण है मासिक धर्मं से पहले बिकारों या Ovulation का संकेत दे सकते है, इसलिए स्पोर्टिंग डिस्चार्ज के साथ इनका होना हमेसा यह गारेंटी नहीं देता है, वेह गर्वाब्स्था का संकेत देते हैं,
अपना गर्वधारण का सठिक निदान और प्रुस्टी पाने के लिए उचित गर्ववस्था का बिकल्प चुने या अपने डॉक्टर्स से परामर्स लें, अपने आप से कोई भी कदम न उठायें जो भी करे डॉक्टर्स से परामर्स लेके करे, हमारा इंटेंसन सिर्फ और सिर्फ इस ब्लॉग के माध्यम से आप तक इन्फोरमेसन पहुँचाना है |